हरिद्वार। हरिद्वार कुंभ सोमवती अमावस्या के पहले शाही स्नान पर भोर से ही श्रद्धालु सोमवती अमावस्या स्नान पर पुण्य लाभ कमाने को हरकी पैड़ी समेत आसपास के गंगा घाटों पर पहुंचने लगे। श्रद्धालुओं की आस्था के आगे कोरोना संक्रमण का खौफ कहीं नहीं दिखा और सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान करने लगी। वहीं, हर की पैड़ी पर सूर्योदय पर सुबह की गंगा आरती हुई।
श्रद्धालुओं ने गंगा पूजन के साथ ही गंगा में डुबकी लगाई और पुण्य लाभ कमाया। 13 अखाड़ों के स्नान शाही स्नान के चलते श्रद्धालु रोक-टोक से पहले ही हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान कर लेना चाह रहे थे। बावजूद इसके उन्हें अधिक देर तक हरकी पैड़ी पर स्नान को ठहरने नहीं दिया जा रहा था। कड़ी सुरक्षा में एक-दो डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी से अन्य घाटों की ओर भेजा जा रहा था। दिन चढ़ने के साथ ही हरकी पैड़ी को पूरी तरह अखाड़ों के लिए आरक्षित कर दिया गया है।
कोरोनाकाल में कुंभ होने के कारण केंद्र सरकार की ओर से भले ही एसओपी जारी की गई, प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए हों। श्रद्धालुओं को हरिद्वार में प्रवेश भी कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट ओर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दिया गया। बावजूद इसके आस्था के सामना कोरोना की लाख बंदिशें बौनी नजर आई। वैसे तो हरकी पैड़ी पर रात 12 बजे के बाद से ही सोमवती अमावस्या का स्नान शुरू हो गया था। पर, इसमें तेजी भोर में ब्रह्ममूहुर्त के बाद से आई। हरकी पैड़ी सहित अन्य घाटों पर स्नान का क्रम ओर तेज हो गया।
जैसे ही पांच बजे तो पुलिस भी अलर्ट हो गई और अखाड़ों के शाही स्नान के तय समय को देखते हुए हरकी पैड़ी को आरक्षित करने का सिलसिला शुरू किया गया। हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को एक-दो डुबकी लगाने के बाद दूसरे गंगा घाटों पर भेजना शुरू किया गया। लेकिन, श्रद्धालुओं की आगाद श्रद्धा और आस्था के संगम को देखकर मानों ऐसा लग रहा था कि कोरोना की बंदिशें खत्म हो गई हो। कड़ी सुरक्षा के चलते दिन चढ़ने के साथ ही यात्रियों को हरकी पैड़ी जाने से रोकना शुरू कर दिया गया। ऐसे में यात्रियों ने दूसरे गंगा घाटों पर ही सोमवती अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगाई। साथ ही दान आदि कर पितरों को याद भी किया।
बेहद फलदायी और पुण्य कारक है सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान
संवत 2077 की अंतिम सोमवती अमावस्या उदया तिथि है। इसीलिए सभी भक्तों को सका पुण्य काल रात्रि 12 बजे तक और अगले दिन सुबह 6 बजे तक भी प्राप्त होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित शक्ति धर शर्मा शास्त्री ने बताया कि स्कंद पुराण में सुमति अमावस्या का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है। क्योंकि इस दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि पर अर्थात मीन राशि पर होंगे, जिसका स्वामी बृहस्पति होता है। इसलिए इस दिन पुण्य प्राप्त करने की इच्छा लिए जो भी भक्त स्नान करता है, उसे कई हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है। ऐसा शिव पुराण में भी वर्णन आया है।
पंडित शक्तिधर शर्मा शास्त्री बताते हैं कि इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण यह है कि सूर्य और चंद्रमा एक साथ होने के कारण पृथ्वी पर चंद्रमा का सोमांश प्राप्त नहीं होता, इसीलिए गंगाजल में ऑक्सीजन की मात्रा सर्वाधिक होती है। इसीलिए जो व्यक्ति गंगा जल में स्नान करता है या स्पर्श करता है आचमन करता है, उसे समस्त पुण्य का लाभ प्राप्त होता है। बताया कि इस वर्ष जो अमावस्या, सोमवती अमावस्या है, वह वर्ष की अंतिम अमावस्या है। इस दिन हरिद्वार में स्नान करने से करोड़ों पुण्य का लाभ प्राप्त होता है और कुंभ पर्व होने के साथ-साथ स्नान दान, जप और भगवान शिव व विष्णु की उपासना करने, पीपल के वृक्ष की पुष्प और अक्षत चावल फल, धूप दीप-नैवेद्य सहित पूजन करने से और उसकी परिक्रमा करने से अनेक पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
स्कंद पुराण और शिव पुराण के अनुसार यह सोमवती अमावस्या पितरों की प्रसन्नता के लिए किए हुए पितरों के निमित्त किए गए कार्यों के लिए विशेष रूप से पुण्यदाई मानी गई है। जो भी व्यक्ति इस दिन अपने पितरों के प्रति पिंडदान तर्पण दान आदि करता है। उसके पित्र उस से प्रसन्न होते हैं और उसे कार्यों में जीवन में कोई बाधा नहीं होती और उसे जीवन के समस्त सुखों का लाभ प्राप्त होता है। इसी के साथ साथ पितरों का आशीर्वाद उसे प्राप्त होता रहता है।