लखनऊ : पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ ने 14 सुंदरियों के जरिए उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के पुलिस, सैन्य व सुरक्षा से जुड़े अफसरों को जाल में फंसाने का गहरा षड्यंत्र रचा है। इंटेलीजेंस मुख्यालय ने हनी ट्रैप के लिए इस्तेमाल की जा रही इन सुंदरियों की फोटो, मोबाइल नंबर व यूआरएल (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) साझा करते हुए अफसरों को सचेत किया है।
आइएसआइ इंटरनेट मीडिया को हथियार बनाकर पहले भी ऐसे हमले करती रही है। इंटेलीजेंस मुख्यालय से जारी अलर्ट में अधिकारियों और उनके स्वजन को भी इंटरनेट मीडिया पर इन सुंदरियों से बचने की सलाह दी गई है।
सोशल मीडिया पर बना रखे हैं फेक अकाउंट
आइएसआइ की इकाई पीआइओ (पाकिस्तान इंटेलीजेंस आपरेटिव) ने सुंदर युवतियों की तस्वीर लगाकर वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम व इंटरनेट मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर अकाउंट बनाए हैं। सभी अकाउंट भारतीय मोबाइल नंबरों का प्रयोग कर खोले गए हैं। जारी अलर्ट में कहा गया है कि यूपी पुलिस व अन्य सुरक्षा संबंधी विभागों व संगठनों के अधिकारियों व कर्मियों के अलावा उनके परिवारीजन के हनीट्रैप की साजिश है।
पीआइओ की महिला एजेंट उन्हें आडियो व वीडियो काल करके अश्लील बातें कर अपने जाल में फंसाने का प्रयास कर रही हैं। आडियो-वीडियो रिकार्डिंग को सार्वजनिक करने का भय दिखाकर उनसे देश की सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील व गोपनीय सूचनाएं इकट्ठा की जा रही हैं।
कुछ भी बताने से कतरा रहे बड़े अफसर
स्पाइवेयर लिंक के माध्यम से उनके मोबाइल व लैपटाप से डाटा हैक किया जाता है। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी इस मामले में कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। हालांकि अभी किसी अधिकारी के जाल में फंसने की पुष्टि नहीं हुई है। वरिष्ठ अधिकारियों को इंटरनेट मीडिया की सघन मानीटरिंग कराने तथा अधीनस्थों को इसकी जानकारी देने को कहा गया है। यह अलर्ट 26 जून को जारी किया गया है। अन्य जांच व खुफिया एजेंसियां भी छानबीन में जुटी हैं।
पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां बीते सात-आठ वर्षों से हनीट्रैप के लिए अलग-अलग पैंतरे अपना रही हैं। वर्ष 2018 में यूपी एटीएस ने महाराष्ट्र एटीएस की मदद से नागपुर स्थित ब्रह्मोस मिसाइल यूनिट के सीनियर सिस्टम इंजीनियर निशांत अग्रवाल को जासूसी के संदेह में गिरफ्तार किया था।
ऐसे ही ऐसे ही वर्ष 2016 में बीएसएफ का जवान अच्युतानंद मिश्रा हनीट्रैप का शिकार हुआ था। हनीट्रैप के कई मामले सामने आ चुके हैं। आइएसआइ इंटरनेट मीडिया के माध्यम से सेना, अर्धसैनिक बल व पुलिस में भर्ती होने के इच्छुक युवाओं पर भी नजर रखती है।