कानपुर। नई सड़क और दादा मियां का हाता में शुक्रवार को हुए उपद्रव के पीछे पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआइ) और डी-टू गैंग का नाम जांच में आने के बाद सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) के एडीजी नवीन अरोड़ा रविवार को कानपुर पहुंचे। उन्होंने नई सड़क और दादा मियां का हाता के साथ ही आसपास के क्षेत्रों का निरीक्षण किया। इसके बाद सद्भावना चौकी पहुंचे, जहां संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी के साथ बैठक की।
दरअसल, जिस तरह से ठेलों पर पत्थर लेकर भीड़ आई और जिस तरह से हमला हुआ, उससे यही अंदाजा है कि शहर में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मौजदूगी के बीच यह उपद्रव साजिश के तहत पूर्व नियोजित था। मास्टरमाइंड हयात जफर हाशमी के पीएफआइ से संबंध की आशंका और डी-टू गैंग का कनेक्शन सामने आने पर मामला गंभीर हो गया और शासन ने जांच में एटीएस को भी लगा दिया है।
उपद्रव और पीएफआइ का रिश्ता : नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में जब देशभर में जगह-जगह उपद्रव हुआ तो उसकी जांच में पीएफआइ का नाम आया था। पीएफआइ पर उपद्रव के लिए फंडिंग करने का आरोप लगा। उस दौरान शहर में भी उपद्रव हुआ था। अब एक बार फिर शक पीएफआइ पर ही जा रहा है।
पुलिस को कुछ दस्तावेज मिले हैं, जिनमें पीएफआइ के पैसों से चलने वाली चार संस्थाओं सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ), कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ), एआइआइसी और आरआइएफ के नाम हैं। इनके संबंध हयात जफर के एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन से हैं। इन संगठनों के नाम सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआइ), कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआइ), एआइआइसी और आरआइएफ हैं। हयात के मोबाइल फोन से भी पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं।
हयात के संगठन के वाट्सएप ग्रुप पर भी उपद्रव से जुड़े कई साक्ष्य मिले हैं। इसमें साफ है कि बाजार बंदी वापस लेने के बाद भी वह पर्दे के पीछे से इसे हवा दे रहा था।
इसलिए निशाने पर है डी-टू : उपद्रव के दौरान पथराव करने वालों में कुछ ऐसे उपद्रवी भी चिह्नित हुए हैं, जिनके संबंध डी-टू गैंग से हैं। इनमें इसराइल, आदिल और इमरान कालिया के अलावा आसिफ रैनी का भाई अरफित हैं। डी-टू के आतंकी कनेक्शन की रिपोर्ट आ चुकी है, जिसमें कहा गया है कि यह गैंग कभी अंडरवर्ल्ड सरगना दाउद इब्राहिम के संपर्क में था और उसके कहने पर मुंबई में कई हत्याएं भी कीं।
उपद्रवियों में एआइएमआइएस और सपा से जुड़े लोग भी शामिल
हयात जफर के साथ पकड़े गए जावेद खान के संबंध एआइएमआइएस (आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) से सामने आए हैं। वह इस पार्टी का संस्थापक सदस्य होने के साथ ही पूर्व जिलाध्यक्ष है।
जावेद वर्ष 2019 में निर्दलीय लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुका है। उपद्रव में समाजवादी पार्टी का एक नेता निजाम कुरैशी भी आरोपित है। वह आल इंडिया जमीअतुल कुरैशी एक्शन का भी जिलाध्यक्ष है। इस संगठन ने भी बंद का आह्वान किया था।