नोएडा। नोएडा के नए सीईओ लोकेश एम ने कार्यभार ग्रहण करते हुए प्राधिकरण में हुई गड़बड़ियों को पकड़ना शुरू कर दिया है। भंगेल एलिवेटेड रोड निर्माण में भी बड़ी अनियमितता बरती जा रही थी। पूर्व के अधिकारी इस पर आंख मूंद ली थी, लेकिन नए सीईओ ने गड़बड़ियों को पकड़ लिया।
नोएडा प्राधिकरण से लेकर सेतु निगम और आईआईटी दिल्ली तक की कार्यप्रणाली कटघरे में खड़ी हो गई है। नए सीईओ बड़े पैमाने पर संलिप्त अधिकारियों पर कार्रवाई करने के मूड में दिख रहे है। शुक्रवार को बैठक कर अधिकारियों को इसके संकेत भी दे दिए है।
उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि परियोजना के निर्माण, टेंडर, ड्राइंग डिजाइन को लेकर अधिकारियों ने बड़ी लापरवाही बरती है। इसका टेंडर निकालने, ड्राइंग डिजाइन आईआईटी से पास कराने में निर्माण में लगने वाली स्टील में दोगुना का अंतर कैसे आ सकता है।
इस अंतर को किसी अधिकारी ने उस समय क्यों नहीं देखा। यदि देखा तो उसे शीर्ष अधिकारी को अवगत क्यों नहीं कराया। ऐसे में तत्काल संशोधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करा बोर्ड से पास कराई जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
उल्टा परियोजना विवादों में फंसा कर अधिकारियों ने पल्ला झाड़ गेंद शासन के पाले में फेंक दी। ऐसे में सीईओ ने भंगेल एलिवेटेड रोड का काम शुरू होते समय नोएडा प्राधिकरण और सेतु निगम में जो अधिकारी कार्यरत थे, उनको चिह्नित करने का निर्देश दिया है। जिनको कार्रवाई के दायरे में लाने का काम किया जाएगा।
पूर्व में प्राधिकरण अधिकारियों की चुप्पी सवालों के घेरे में
आश्चर्य चकित करने वाली बात यह है जिस नवनियुक्त सीईओ लोकेश एम ने आकर भंगेल एलिवेटेड रोड जैसी परियोजना पर इतने सवाल खड़ा कर दिया। परियोजना में बढ़े बजट को लेकर कमेटी गठित कर दी, जिसके बाद परियोजना निर्माण को लेकर परत खुलने लगी। यह कार्य तो तत्कालीन मुख्य कार्यपालक रितु माहेश्वरी को ही कर देना चाहिए था, लेकिन उस समय ऐसा नहीं किया गया। यह बात अब सवालों के घेरे में आकर खड़ी हो गई है।
भंगेल एलिवेटेड का बजट 468 करोड़
बता दें कि सेतु निगम की ओर से करीब 150 करोड़ रुपये की लागत बढ़ाने से इन दिनों एलिवेटेड रोड का काम बंद पड़ा हुआ है। अभी तक इस एलिवेटेड रोड का बजट 468 करोड़ रुपये है। बुधवार को एलिवेटेड रोड का सीईओ ने जायजा लिया था। इसके बाद एक कमेटी गठित कर बैठक कराई।
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कमेटी में एनएएचआई, पीडब्लूडी, दो कंसलटेंट कंपनी, नोएडा प्राधिकरण व सेतु निगम अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में सामने आया कि एलिवेटेड रोड के डिजाइन और टेंडर लागत में शुरूआत से ही अंतर था, लेकिन इसका आकलन करने में प्राधिकरण और सेतु निगम दोनों स्तर पर लापरवाही बरती गई।
आईआईटी दिल्ली से मंजूर हुए ड्राइंग डिजाइन में 31 हजार टन स्टील की बात लिखी गई, लेकिन दूसरे पत्र में 20 हजार टन स्टील की भी बात लिखी गई। इसके अलावा एलिवेटेड रोड का टेंडर 20 हजार टन के हिसाब से किया गया।
प्राधिकरण अधिकारियों का कहना है कि कुछ और ऐसी चीजें सामने आई हैं जिनमें एलिवेटेड रोड का काम शुरू करते समय बजट को लेकर गंभीरता नहीं बरती गई। इसके लिए नोएडा प्राधिकरण के साथ-साथ सेतु निगम भी जिम्मेदार है। ऐसे में एलिवेटेड रोड के लिए टेंडर जारी करने से लेकर काम शुरू होते समय प्राधिकरण सेतु निगम के जो इस अधिकारी कार्यरत है, उनकी जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाएगी।
एलिवेटेड रोड का काम जल्द शुरू कराया जाएगा। जबकि सूत्र बता रहे है कि वर्ष 2012 में परियोजना को लेकर जो एस्टीमेट तैयार किया गया था, उसी एस्टीमेट पर टेंडर कर दिया गया, जिस कारण यह दिक्कत हुई है। हालांकि विशेषज्ञों की ओर से जो रिपोर्ट आएगी, उसको लेकर बोर्ड बैठक में चर्चा की जाएगी। इसके बाद भंगेल का निर्माण शुरू कराया जाएगा।