नोएडा। हर कदम पर नियमों को तार-तार कर भारी अनियमितता बरत कर जिन गगनचुंबी टावरों को खड़ा किया गया था, उनको ध्वस्त करने में कहीं कोई चूक नहीं रही। ध्वस्तीकरण के हर कदम पर सभी जरूरी सावधानी और सतर्कता बरती गई। यही वजह रही कि दोनों टावरों को सुरक्षित तरीके से ध्वस्त कर लिया गया।
इस कार्य को शिद्दत करने की बानगी इस बात से साबित हो सकती है कि विस्फोटक लगाने का कार्य करने के एवज में चेतन दत्ता और उनकी टीम ने एक भी रुपया नहीं लिया है। वह सिर्फ इस कार्य का हिस्सा बनना चाहते थे और इस कार्य को सुरक्षित तरीके से अंजाम देने पर काफी खुश हैं।
विस्फोट के पहले तनाव में थी पूरी टीम
चेतन दत्ता ने बताया कि सुबह उन्हें पूजा करनी थी, लेकिन मंदिर न मिलने के कारण पत्नी के कहने पर सूरज को जल दिया। साइट पर पूजा के बाद हल्का नाश्ता किया। चेतन बताते हैं कि विस्फोट से आधे घंटे पहले पूरी टीम इतने तनाव में थी, हम एक दूसरे से बात भी नहीं कर रहे थे।
कनेक्शन करने से लेकर काउंटडाउन शुरू करने, करंट जेनरेट करने और बटन को पुश करने तक हममें से किसी ने एक दूसरे से बात तक नहीं की। हमारी पूरी टीम एक ट्राली शेल्टर में थी। ट्रिगर दबाने के बाद मेरी आंखें बंद थी, जब आंख खुली तो सामने से टावर गायब थे, सिर्फ धूल का गुबार दिखाई दिया। इसके बाद मास्क उतारा और धूल की परवाह न करते हुए मौके पर यह देखने के लिए पहुंच गया कि सब कुछ प्लान के अनुसार हुआ है या नहीं।
छलक उठे हर टीम सदस्य की आंख से आंसू
जैसे ही शेल्टर से निकलकर चेतन दत्ता धूल की गुबार की तरफ बढ़े, उनके पीछे टीम के सदस्य केविन और उनके पीछे जो अंकल (जो ब्रिंकमैन) और मयूर मेहता थे। सबसे अधिक खतरा सुपरटेक एमराल्ड की तरफ था, ऐसे में सबसे पहले उस तरफ गए, वहां सब कुछ ठीक मिलने पर एटीएस की तरफ गए। रास्ते में स्लैब पड़ी हुई थी, ऐसे में जो अंकल पांच फीट की दीवार फांद गए।
एटीएस की तरफ से जब वापस लौटे तो सब कुछ ठीक देखकर टीम के सभी सदस्यों के मुंह से निकला कि एक सेल्फी हो जाए। चेतन बताते हैं कि सेल्फी लेने से पहले ही केविन आकर गले लग गया और दोनों की आंखों की आंसू निकल पड़े। जब जो अंकल के गले मिला तो वे भी अपने आंसू नहीं रोक सके। मयूर मेहता का खुशी आंसुओं में इस कदर निकली, जैसे कोई बच्चा रो रहा हो।
पांच मिनट तक छाई धूल तो भावुक हो गईं चेतन दत्ता की पत्नी
इंडियन ब्लास्टर चेतन दत्ता के ट्रिगर दबाते ही विस्फोट के साथ पांच मिनट के लिए सब कुछ ओझल हो गया। पास की सोसायटी में मौजूद उनकी पत्नी सुमन दत्ता की धड़कनें भी बढ़ गईं। उन्होंने बताया कि दूर से कुछ नहीं दिख रहा था। चेतन 70 मीटर की दूरी पर मौजूद थे तो उनकी चिंता और बढ़ गई।
आखिर कुछ गलत तो नहीं हो गया। पांच मिनट बाद चेतन दत्ता ने फोन कर सब कुछ सही होने की बात कही। वह भी पहले से ही भावुक थे। दोनों ही रोने लगे। करीब डेढ़ घंटे बाद वह उनसे मिलीं। उनके साथ दोनों बेटे भी थे। उसके साथ में खाना खाने गए और शाम को उनको साइट पर छोड़ वापस हरियाणा के हिसार स्थित घर लौट गईं।