लखनऊ : यूपी में समाजवादी पार्टी के शासनकाल में हुए गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में CBI ने 7 और ठिकानों पर छापे मारे हैं। मेरठ में प्रभात नगर स्थित अशोक वाटिका निवासी ठेकेदार हरपाल सिंह चौधरी के घर पर भी छानबीन की गई। सिंचाई विभाग से रिटायर हरपाल सिंह चौधरी एक IAS के रिश्तेदार हैं। हरपाल सिंह ने गोमती रिवर फ्रंट के एक हिस्से में पौधारोपण कराया था। कुल 49 स्थानों पर की गई छापेमारी के दौरान मिले दस्तावेजों का अध्ययन किया जा रहा है। जांच की आंच कई बड़ों तक पहुंच सकती है। सीबीआइ अधिकारियों को आशंका है कि यह सब केवल इंजीनियरों के बस का नहीं था। जांच आगे बढ़ी तो इसकी आंच पूर्व मंत्री व IAS अधिकारियों तक पहुंच सकती है।
CBI ने सोमवार को यूपी, राजस्थान व कोलकता स्थित 42 ठिकानों पर छापा मारा था। इस दौरान कुछ आरोपितों के अन्य ठिकानों की भी जानकारी सामने आई और CBI ने सात अन्य स्थानों पर भी देर रात तक पड़ताल की। CBI लखनऊ के साथ CBI गाजियाबाद, देहरादून, बिहार व दिल्ली के अधिकारियों की टीमें बनाकर यह छापे मारे गए थे। CBI को एक तत्कालीन चीफ इंजीनियर के घर से एक करोड़ रुपये की एफडी भी मिली है। इसके अलावा कई अधिकारियों व फर्म संचालकों के घर में हीरे व सोने के बेशकीमती जेवर भी मिले, जिनका ब्योरा दर्ज किया गया है। सीबीआइ ने जेवर जब्त नहीं किए हैं
जिस फर्म को चाहा काम दिलवा दिया : सीबीआइ जांच में यह बात पहले ही सामने आ चुकी है कि नामजद आरोपित सिंचाई विभाग के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव, शिवमंगल यादव, जीवन राम यादव, अखिल रमन, तत्कालीन चीफ इंजीनियर ओम वर्मा, काजिम अली, एसएन शर्मा व अन्य अधिकारियों ने जिस फर्म को चाहा उसे काम दिलवा दिया। कार्यों के आवंटन के लिए बनी समिति के अध्यक्ष जिसे चाहते थे, उसे काम दे देते थे और उनके अप्रूवल पर समिति के अन्य सदस्य सहमति दे देते थे। जिन कामों के टेंडर की कागजी प्रक्रिया पूरी भी की गई, उनमें दो बोगस फर्में भी शामिल की जाती थीं। 30 से 35 टेंडर की सूचना के लिए फर्जी अखबार छपवाए गए थे। सीबीआइ अधिकारियों के गले से अब यह बात नहीं उतर रही है कि इतना बड़ा खेल इंजीनियर अपने स्तर से करते रहे और विभाग के बड़ों को इसकी भनक तक नहीं लगी। जब गोमतीनगर रिवर फ्रंट परियोजना की शुरुआत हुई थी, तब सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव व प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल थे।
407 करोड़ के कार्यों में घपला : सपा शासनकाल में 1500 करोड़ रुपये की गोमती रिवरफ्रंट परियोजना से जुड़े करीब 407 करोड़ रुपये के कार्यों में घपला पकड़ा गया है। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने 407 करोड़ रुपये के 661 कार्यों की आरंभिक जांच के बाद बीती दो जुलाई को सिंचाई विभाग के 16 तत्कालीन अधिकारियों व कर्मियों समेत कुल 189 आरोपितों के विरुद्ध अपनी दूसरी एफआइआर दर्ज की थी।
तलाशे जाएंगे फर्म संचालकों के रसूख भी : सीबीआइ ने सोमवार को पहले चरण में उन फर्म संचालकों के घर छापे मारे, जिन्हें 15 से 20 करोड़ रुपये या उससे अधिक कीमत के काम आवंटित हुए थे। बरामद दस्तावेजों के जरिये कमीशन का अंदाजा लगाने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी देखा जा रहा है कि किस काम को कितने हाई रेट पर आवंटित किया गया था। काम हासिल करने वाली फर्मों के संचालकों के रसूखों की भी पड़ताल होगी।