अलीगढ़: भाजपा के पूर्व शहर विधायक और वैश्य समाज के कद्दावर नेता संजीव राजा नहीं रहे, वे 62 वर्ष के थे। शुक्रवार की देर रात यूसुफगंज (बारहद्वारी) स्थित आवास पर उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई। यहां से मलखान सिंह जिला अस्पताल लाया गया, यहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृत्यु का कारण हार्ट अटैक और ब्रेन हेमरेज बताया जा रहा है।
मृत्यु की खबर सुन उनकी पत्नी वर्तमान विधायक मुक्ता राजा कुछ देर के लिए बेहोश हो गईं। सुबह पूरे शहर में शोक छा गया। अधिकांश बाजार दोपहर तक बंद रहे। उनके घर पर श्रद्धांजलि देने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी। जब तक सूरज चांद रहेगा, राजा तेरा नाम रहेगा के जयकारों और पुष्प वर्षा के बीच निकली अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर शोक संवेदना व्यक्त की है।
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बदायूं जिले के रहने वाले थे
वे मूल रूप से बदायूं जिले के कस्बा वजीरगंज के थे। 1961 में जन्म हुआ। पिता रामपाल वाष्र्णेय की आटा चक्की थी। शुरुआती शिक्षा तीन भाई राजीव वाष्र्णेय, लव कुमार व एकलव्य के साथ वजीरगंज में ली। 1971 में वह अलीगढ़ में द्वारिकापुरी निवासी अपने नाना छोटे लाल के यहां आ गए। कोई संतान न होने के चलते मामा ओम प्रकाश ने उन्हें गोद लिया।
छात्रनेता के रूप में राजनीति की शुरूआत
छात्रनेता के रूप में राजनीति की शुरूआत की। 40 साल का राजनीति सफर रहा। राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी भूमिका रही। रोरावर कांड में वह जेल गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी को हराकर वह पहली बार शहर विधायक बने थे। 1999 के मारपीट के मुकदमे में सजा होने के चलते 2022 के चुनाव में भाजपा ने उनकी पत्नी मुक्ता राजा को चुनाव लड़ाया, जिसमें जीत हुई।
चेकअप कराने जाना था एम्स
संजीव कुछ दिनों से बीमार थे। शनिवार को सुबह 6:30 बजे चेकअप कराने के लिए उन्हें एम्स, दिल्ली जाना था। रात 12:30 बजे उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। बाथरूम जाने के दौरान अचानक गिर गए। इससे उन्हें चोट भी लगी। करीब ढाई बजे तबीयत फिर बिगड़ी और अचेत हो गए। जिला मलखान सिंह अस्पताल लाए तब तक देर हो चुकी थी। रामघाट रोड स्थित चंदनिया के शमशान स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया। दत्तक पुत्र हर्षित ने मुखाग्नि दी।