जेवर। हाइटेंशन लाइन की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलसे छह वर्षीय बच्चे को अपने दोनों हाथ गंवाने पड़े। हाइटेंशन लाइन जेवर के टप्पल रोड स्थित एक निजी चौधरी मेडिकेयर अस्पताल की बालकनी के नजदीक से गुजर रही थी। बच्चा खेलता हुए बालकनी में पहुंच गया और लाइन की चपेट में आ गया।
बच्चे के स्वजन ने अस्पताल संचालक एवं विद्युत निगम पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जेवर कोतवाली में शिकायत दी है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। बच्चे के दोनों हाथ कटने से उसके भविष्य अंधकार होने का संकट हो गया है।
यूपी में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खुले में मांस की खरीद-बिक्री पर रोक, आदेश जारी
बेटे को लेकर अस्पताल गए थे योगेश
अलीगढ़ जिले के पिसावा थाना क्षेत्र के अंतर्गत दीवा हबीबपुर गांव के रहने वाले योगेश की बहन दस्तपुर निवासी सीमा 23 जून को जेवर के चौधरी मेडिकेयर अस्पताल में डिलेवरी के लिए भर्ती हुई थी। 25 जून को योगेश अपनी पत्नी शिवानी व छह वर्षीय बेटे माधव चौहान के साथ अस्पताल में भर्ती बहन को देखने के लिए गए थे। इसी दौरान माधव खेलता हुआ अस्पताल की बालकनी तक पहुंच गया।
दोनों हाथ गंभीर रूप से झुलसे
बालकनी के नजदीक से बिजली की हाइटेंशन लाइन गुजर रही थी। हवा के कारण बिजली लाइन के तार बालकनी में खेल रहे माधव के साथ से छू गए। उसे जोरदार झटका लगा और दोनों हाथ गंभीर रूप से झुलस गए। आनन फानन में अस्पताल में उसका उपचार शुरू किया गया, लेकिन बच्चे की गंभीर हालत को देखकर उसे दिल्ली के एम्स अस्पताल रेफर कर दिया गया।
एम्स में डॉक्टरों ने काटा दोनों हाथ
उपचार के दौरान उसके दोनों हाथों को कोहनी से काटकर अलग करना पड़ा। योगेश ने बुधवार को कोतवाली पुलिस से शिकायत कर विद्युत निगम व अस्पताल संचालक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है। विद्युत निगम के अधिशासी अभियंता आलोक प्रकाश का कहना है कि पीड़ित पिता ने उनसे कार्यालय में मुलाकात की थी। उन्हें लिखित में शिकायत देने को कहा था, जिससे मामले की जांच कराई जा सके।
उसके बाद वह वापस नहीं आए। प्रकरण संज्ञान में है, विद्युत लाइन पहले से ही मौके पर थी। अस्पताल का निर्माण बाद में किया गया है। अस्पताल संचालक को बालकनी हटाने या सेफ्टी का इंतजाम करने के लिए कहा गया था, लेकिन लापरवाही बरती गई। घटना पर खेद है। मामले की जांच कर लाइन के अन्य विकल्प पर भी विचार किया जाएगा।
चौधरी मेडिकेयर अस्पताल के संचालक डा. अजीत का कहना है कि रास्ता कम चौड़ा होने की वजह से लाइन नजदीक थी। बालकनी में किसी के जाने पर रोक के लिए दरवाजा बंद रखा जाता है। दुर्भाग्यवश दरवाजा बंद न होने की वजह से बच्चा उसे खोलकर बालकनी में पहुंच गया। विद्युत निगम से लाइन को शिफ्ट करने को कई बार कहा गया, लेकिन अभी तक नहीं हटाई गई है।