उड़ीसा में भगवान जगन्नाथ यात्रा की तर्ज पर २५ मीटर ऊंचे रथ पर भगवान की यात्रा निकाली गई। रथयात्रा के यजमान और राजा की भूमिका आईआरएस अधिकारी अरुण द्विवेदी और उनकी पत्नी प्रोफेसर डा राखी द्विवेदी ने निभायी। उन्होंने भगवान के रथ के आगे झाड़ू लगायी। यात्रा की समाप्ति पर उन्होंने भगवान को उनकी मौसी के घर पहुंचाया। जहां दस दिन विश्राम के बाद भगवान २८ जून कोे वापस मंदिर में अपने स्थान पर विराजमान होंगे।हिंदू मान्यताओं के मुताबिक आषाढ़ के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी के घर जाते हैं। यह यात्रा ११ दिन की होती है। इसका समापन १ जुलाई को होगा। पद्म पुराण के मुताबिक भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा ने एक बार नगर देखने की इच्छा भगवान से जाहिर की। तब भगवान श्री जगन्नाथ प्रभु ने अपने भाई बलभद्र के साथ रथ पर बैठाकर अपनी बहन को नगर दिखाने लेकर गए थे। इस यात्रा के दौरान वह अपनी बहन सुभद्रा के साथ मौसी गुंडिचा के घर भी गए थे। इस दौरान उन्होंने वहां सात दिन प्रवास किया, तब से इस यात्रा को निकालने का प्रावधान है। इसका विवरण नारद और ब्रह्म पुराण में भी किया गया है। ऐसी भी मान्यता है कि मौसी के घर पर रहने के दौरान भाई बहन ने खूब पकवान खाए थे और वह बीमार पड़ गए थे, जहां उनका उपचार किया गया, इसके बाद उन्होंने लोगों को दर्शन दिए। इसी आधार पर हर साल अब इस परंपरा का पालन किया जाता है। यात्रा के इस अवसर पर हल्दीराम समूह के महाप्रबंधक उदित अवस्थी, कस्टम अधिकारी मुकेश गौर, एडवोकेट आदित्य प्रणव द्विवेदी, एडवोकेट कार्तिकेय अवस्थी, विधि विशेषज्ञ प्रोफेसर मुग्धा द्विवेदी, सुमन अवस्थी, शशांक मिश्रा, अर्चना मिश्रा, संदीप मिश्रा, रुबी मिश्रा, मयंक मिश्रा प्राची मिश्रा, राजीव शुक्ला, रागिनी शुक्ला, अभय मिश्रा, अश्वनी कुमार त्रिपाठी, अनन्य शिव और अमात्य शंकर ने रथ को खींचा और तीन किलोमीटर की यात्रा को संपूर्ण करने में अपना योगदान किया। श्री जगन्नाथ सेवा संस्था के चेयरमैन सुकन्ता कुमार विश्वाल की भूमिका महत्वपूर्ण रही । उन्होंने इस मौके संस्था के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया।