ग्रेटर नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Noida International Airport) को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए, IATA) ने एयरपोर्ट को तीन अक्षर का कोड डीएक्सएन प्रदान कर दिया है। यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. के सीईओ क्रिस्टोफ श्नेलमैन और सीओओ किरण जैन ने बुधवार को कोड का अनावरण किया। एयरपोर्ट का निर्माण कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
बुधवार को किया गया कोड का अनावरण।
एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर का निर्माण 15 दिन में पूरा हो जाएगा। इसके बाद उपकरण लगाने का काम शुरू होगा। टर्मिनल बिल्डिंग के इंटीरियर का काम तीन माह बाद शुरू होगा।
आईएटीए से मिले कोड का क्या है मतलब
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन दुनिया के सभी एयरपोर्ट को कोड प्रदान करती है। यह कोड एयरपोर्ट की यूनीक पहचान होता है। इस कोड के जरिए एयरपोर्ट की पहचान होती है। एयरपोर्ट का संचालन शुरू होने पर यह कोड सक्रिय हो जाएगा।
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यात्री एवं एविएशन पेशेवर को किसी भी भ्रम और गलतियों से बचाने, गंतव्य की सटीक पहचान में कोड की अहम भूमिका होगी।
कौन सा मिला है कोड
विकासकर्ता कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट लि. के सीईओ क्रिस्टोफ श्नेलमैन ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को कोड मिलने से हम एक कदम और आगे बढ़ गए हैं। डीएक्सएन (DXN) को कोई और एयरपोर्ट उपयोग नहीं कर सकेगा। यह यूनीक कोड है। दुनिया में इस कोड के जरिये नोएडा एयरपोर्ट की पहचान होगी।
कहां तक पहुंचा एयरपोर्ट का काम
उन्होंने कहा कि एयरपोर्ट को निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। सात हजार श्रमिक और 450 से अधिक हल्की और भारी मशीनें एयरपोर्ट के निर्माण कार्य में लगी हैं। टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण यात्रियों के आगमन व प्रस्थान के तल तक हो चुका है।
एयरपोर्ट पर बन रही हैं 20 बिल्डिंग
तीन माह बाद बिल्डिंग में इंटीरियर का काम शुरू हो जाएगा। एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर का निर्माण 30 मीटर तक हो चुका है। इसका काम पंद्रह दिन में पूरा हो जाएगा। एयरपोर्ट पर 20 बिल्डिंग का काम हो रहा है। इसमें सब स्टेशन, पैसेंजर टर्मिनल, एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर, आफिस ब्लाक, सीवेज और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, इलेक्ट्रिक सबस्टेशन, फ्यूल स्टेशन आदि शामिल हैं।
कोड के दिए गए थे तीन विकल्प
कंपनी की सीओओ किरण जैन ने कहा कि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन को कोड के लिए तीन विकल्प दिए गए थे। इसमें डीएक्सएन को स्वीकृति मिल गई है। यह दिल्ली और पश्चिम उत्तर प्रदेश की राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि टिकट बुकिंग में यह कोड महत्वपूर्ण होगा। एक बार कोड मिलने के बाद इसे बदला नहीं जा सकता है।
क्यों खास है आईएटीए कोड?
- आईएटीए कोड प्रत्येक एयरपोर्ट को यूनीक कोड होता है। यह एयरपोर्ट की वैश्विक पहचान के रूप में काम करता है। यह पिन कोड की तरह लोकेशन आइडेंटिफायर है।
- यात्रियों के दस्तावेज के साथ ही संवाद व एयरपोर्ट संबंधित कामकाज में कोड का इस्तेमाल होता है।
- फ्लाइट शेड्यूल, टिकट, एक एयरपोर्ट से दूसरे एयरपोर्ट तक बैगेज हैंडलिंग आपरेशन, लाजिस्टिक को सुव्यवस्थित करने में कोड अहम होता है।
डीएक्सएन ऐसे हुआ नामकरण
विकासकर्ता कंपनी के अधिकारियों के अनुसार नोएडा पश्चिम उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण शहर के रूप में पहचान रखता है। जबकि दिल्ली की अंतरराष्ट्रीय पहचान है। कोड में डी और एन दिल्ली व नोएडा का प्रतिनिधित्व करते हैं। जबकि एक्स राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी को दर्शाता है।
नोएडा एयरपोर्ट के बारे में
- निर्माण कार्य में 7000 श्रमिक लगे।
- अब तक 1.40 करोड़ घंटे खर्च हो चुके हैं निर्माण पर।
- 450 हल्की व भारी मशीनरी को उपयोग हो रहा है।
- 50,000 मीट्रिक टन कंक्रीट का उपयोग हो चुका है अब तक।
- 25000 मीट्रिक टन से अधिक स्टील का उपयोग हो चुका है अब तक।
- अक्टूबर 2024 से नोएडा एयरपोर्ट पर यात्री सेवाओं को संचालन होगा शुरू।