ग्रेटर नोएडा : 51 प्रतिशत फ्लैट खरीदारों की सहमति मिलने के बाद 12 बिल्डर परियोजनाओं का पुनर्निर्माण शुरू हो गया है। गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद में संपदा लिविया, नाइट कोर्ट, कैलिप्सो कोर्ट, एप्पल-7, नोविना ग्रींस, यूनीबेरा, ला-कासा अंसल एक्वापोलिस, कासा ग्रांड, ला-पैलेसिया, ला-गैलेक्सिया, स्प्रिंग व्यू हाइट्स व लखनऊ में प्लूमेरिया होम्स परियोजना का पुनर्निर्माण फ्लैट खरीदारों की सहमति के बाद शुरू हुआ है।
उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) अधिकारियों के मुताबिक जिन बिल्डर परियोजनाओं का पंजीकरण रेरा निरस्त कर देता है, उन्हें रेरा अधिनियम धारा-आठ के तहत परियोजना पूरी करने का एक मौंका दिया जा सकता है। बशर्ते बिल्डर को परियोजना से जुड़े 51 फीसद फ्लैट खरीदारों की सहमति लेनी होगी। राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में लगातार बिल्डरों के दिवालिया घोषित होने के बाद 12 बिल्डर परियोजनाएं ऐसी र्ह जिनके प्रमोटरों ने 51 फीसद फ्लैट खरीदारों से सहमति लेकर परियोजना को पूरी करने का अनुरोध रेरा अधिकारियों से किया है। फ्लैट खरीदारों का भी कहना है कि देर से ही सही बस उन्हें घर मिल जाए। इन प्रमोटरों में दो फ्लैट खरीदारों की एसोसिएशन भी शामिल है, जिन्होंने खुद परियोजना को पूरी करने की इच्छा जताई है। फ्लैट खरीदारों के अनुरोध पर रेरा ने अपनी सहमति दे दी है। परियोजनाओं का पुनर्निर्माण भी शुरू हो गया है।
दरअसल, राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में लगातार बिल्डरों के खिलाफ वाद दायर हो रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 70 से अधिक बिल्डरों के खिलाफ एनसीएलटी में वाद चल रहे हैं। बिल्डरों को दिवालिया घोषित कर एनसीएलटी आइआरपी भी नियुक्त कर चुका है। जिसने फ्लैट खरीदारों की परेशानी को बढ़ा दिया है। यूपी रेरा ने इन बिल्डर परियोजनाओं से जुड़ी सुनवाई को प्रतीक्षा सूची में डाल दिया है। रेरा अधिकारियों की माने तो अभी भी कई बिल्डर ऐसे हैं जो दिवालिया होने की डगर पर हैं। परियोजनाओं का काम पिछले कई साल से बंद पड़ा है। रेरा इनमें से कई बिल्डर परियोजनाओं का पंजीकरण भी निरस्त कर चुका है। बिल्डरों को दिवालिया होने से बचाने व किसी तरह परियोजना को पूरी कराने के लिए फ्लैट खरीदार बिल्डरों को एक और मौका देने की पैरवी कर रहे हैं।