नोएडा। जिला कारागार में बंद 26 बंदियों की रिपोर्ट एचआइवी पॉजिटिव मिली है। जेल में शिविर लगाकर हुई जांच के बाद यह बात सामने आई है। ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआइवी) पॉजिटिव आने के बाद जेल प्रशासन ने बंदियों का सेक्टर-30 स्थित जिला अस्पताल स्थित एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर में इलाज शुरू कर दिया गया है।
शिविर 2650 बंदियों के लिए गए नमूने
जिला अस्पताल के पैथ लैब प्रभारी डा. एचएम लवानिया ने बताया कि जेल में बंदियों की जांच के लिए एचआइवी शिविर लगाया गया था। करीब 15 दिन चले जांच में शिविर 2650 बंदियों की स्क्रीनिंग के बाद नमूने लिए गए। 26 बंदी एचआइवी पॉजिटिव मिले। एचआइवी पाजीटिव मिले बंदियों को एआरटी सेंटर में पंजीकृत करा दिया गया है। सीएमएस डा. पवन कुमार का कहना है कि मरीजों की एंटी रेट्रो वायरल थेरेपी (एआरटी) के लिए जेल प्रशासन को कहा गया है।
प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है असर
एचआइवी मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव डालता है। विशेषज्ञों के मुताबिक जेल जाने से पहले कई आरोपित आमतौर पर सिरिंज के माध्यम से ड्रग्स लेते हैं, जो एचआईवी फैलाने का कारण है। जेल में बंदियों के बीच लड़ाई झगड़े होते रहते हैं। जिसमें चोटें भी लगती हैं। ऐसे में खून के जरिये संक्रमण दूसरे मरीजों को मिल सकता है। पाजीटिव मरीजों के खानपान पर विशेष ध्यान देना जरुरी है।
दिल्ली AIIMS का सर्वर ठप, हैक होने की आशंका; आफत में पड़े मरीज
कैसे होता है एचआइवी
- असुरक्षित यौन संबंध बनाना।
- संक्रमित सुई से टैटू बनवाने से।
- एचआइवी संक्रमित ब्लड चढ़ने से।
- संक्रमित मां से होने वाले बच्चे को।
- यदि संक्रमित ब्लड किसी अन्य व्यक्ति के संपर्क में आ जाए।
एसीएमओ व एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डा. शिरीष जैन ने बताया कि प्रत्येक वर्ष जिला कारागार में शिविर लगाकर बंदियों के सैंपल एचआइवी जांच के लिए लिए जाते हैं। पूर्व में हुई जांच में कई मरीज पॉजिटिव मिल चुके हैं। सभी का एआरटी सेंटर में इलाज किया जाता है। वर्तमान में जिले में 750 एचआइवी के मरीज पंजीकृत है।