ग्रेटर नोएडा। नेशनल कंपनी ला टिब्यूनल (एनसीएलटी) ने सुपरटेक को दिवालिया घोषित कर दिया है। लगभग सवा सौ करोड़ रुपये की 300 आरसी के सापेक्ष जिला प्रशासन ने सुपरटेक की सौ करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी। संपत्तियों की ई नीलामी की प्रक्रिया चल रही थी। दिवालिया घोषित होने के बाद जिला प्रशासन बिल्डर की जब्त संपत्तियों को नीलाम नहीं करेगा। साथ ही जारी की गई आरसी को जिला प्रशासन अब उत्तर प्रदेश भू संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) को वापस कर देगा। यूपी रेरा में सुपरटेक बिल्डर के सर्वाधिक मामलों की सुनवाई चल रही है। विभिन्न मामलों की सुनवाई के बाद रेरा ने बिल्डर के खिलाफ लगभग 300 आरसी जारी की है, जिसकी रकम लगभग सवा सौ करोड़ रुपये की है। आरसी के सापेक्ष जिला प्रशासन लगातार वसूली की कार्रवाई कर रहा है।
पिछले कुछ समय के दौरान बिल्डर से लगभग बीस करोड़ रुपये की रकम वसूली जा चुकी है। बैंक खाते भी सीज किए गए हैं। साथ ही उसकी लगभग सौ करोड़ रुपये की अचल संपत्ति भी जब्त है। जब्त संपत्तियों के ई नीलामी की प्रक्रिया पर जिला प्रशासन आगे बढ़ रहा था। बायर्स को उम्मीद थी कि ई नीलामी से प्राप्त रकम से उनके पैसों का भुगतान हो जाएगा। अब बायर्स की परेशानी बढ़ गई है। एडीएम वित्त वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि बिल्डर की जब्त संपत्ति की नीलामी नहीं होगी। आरसी भी रेरा को वापस कर दी जाएगी।
अब लाजिक्स भी दिवालिया प्रक्रिया में शामिल
सुपरटेक के बाद अब लाजिक्स भी दिवालिया प्रक्रिया में शामिल हो गया है। नेशनल कंपनी ला टिब्यूनल (एनसीएलटी) ने लाजिक्स के लिए भी आइआरपी तैनात कर दिया है। इससे करीब 2500 फ्लैट बायर्स की परेशानी बढ़ गई है। जानकारों ने बताया कि अब उन्हें जल्द से जल्द आइआरपी से मिलकर सीओसी में शामिल होना चाहिए, इसके बाद वह इनको फ्लैट दिलाने की आगे की प्रक्रिया करेंगे।
लाजिक्स ब्लासम जेस्ट 2011 में शुरू हुई आवासीय परियोजना के 2500 से अधिक घर खरीदारों को अभी तक अपने फ्लैट का कब्जा नहीं मिला है। इसमें 14 टावरों में 3400 फ्लैट हैं, जिनमें से पांच का कंप्लीशन सर्टिफिकेट ले लिया गया है, जबकि नौ टावर अधूरे हैं। निवासियों ने बताया कि 800 परिवार बिना रजिस्ट्री रह रहे हैं, क्योंकि बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण का बकाया भुगतान नहीं किया है। जो कि 510 करोड़ रुपये से अधिक है। लगभग 200 निवासियों ने 2016 में रेरा में बिल्डर के खिलाफ मामले दर्ज किया था। कई लोगों को रिफंड के लिए निर्णय मिले, लेकिन अभी तक किसी को यह भुगतान नहीं दिया गया। करीब 150 निवासियों ने पिछले साल एनसीएलटी में मामला भी दर्ज कराया था, जो लंबित है। 90 से अधिक निवासियों ने 2018 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया था, वहां भी मामले लंबित हैं।