नोएडा। नोएडा महासागरों में बढ़ता प्लास्टिक प्रदूषण वैश्विक स्तर पर बड़ी समस्या है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के अनुसार प्रति वर्ष महासागरों में 80 लाख टन प्लास्टिक गिर रहा है। इससे पानी में माइक्रो व नैनो प्लास्टिक कणों की तादाद लगातार बढ़ रही है।
यह समुद्री जीवों और वनस्पतियों के लिए बेहद खतरनाक है। बहुत सूक्ष्म होने के चलते इनकी पहचान करना भी आसान नहीं है।
पानी के नीचे इन कणों की पहचान के लिए एमिटी विश्वविद्यालय में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की दो छात्राओं रिया पी डे और अक्षिता गाबा ने एक्वेरियस नामक एक अंडर वाटर व्हीकल बनाया है। यह माइक्रो और नैनो कणों की पहचान करने के साथ जमा भी करता है।
यह पानी के नीचे स्वत चलने वाला एक प्रकार का रोबोट है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीकी कनवाल्यूशनल न्यूरल नेटवर्क से कणों की पहचान करेगा। छात्रा रिया पी डे ने बताया कि इसमें कई प्रकार के सेंसर लगे हैं, जो गहराई, पानी का दबाव, थर्मल, कंपन समेत अन्य जानकारियां भी साझा करते हैं।
कणों को एकत्रित करने के लिए लगे चैंबर में वजन के लिए सेंसर लगा है। इसकी मदद से किसी विशेष स्थान पर प्लास्टिक कणों की मात्रा भी पता की जा सकती है। फोटो व वीडियो के लिए कैमरा लगा है। जानकारी की मदद से पानी के अंदर माइक्रो व नैनो प्लास्टिक कणों की मौजूदगी का विश्लेषण हो सकेगा।
उपकरण जीपीएस एंटीना की मदद से लैपटाप या ड्रोन से कनेक्ट रहेगा। जलमार्गों की पहचान के लिए दो नेविगेशन सेंसर लगे हैं। यह एक बार में छह घंटे तक पानी के अंदर रह सकता है। बैटरी पावर बैकअप के साथ थर्मल एनर्जी हार्वेस्टिंग पर आधारित एक सेकेंडरी पावर बैकअप सिस्टम भी लगा है।
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इसकी मदद से यह पानी के नीचे थर्मल ग्रेडिएंट्स का पता लगाने के साथ सेल्फ चार्ज भी होगा। अभी यह पहला वर्जन है। हम इसके अगले वर्जन पर काम कर रहे हैं। उसमें पानी के अंदर रहने के समय और जीपीएस की कनेक्टिविटी की दूरी अधिक होगी।
उपकरण को लेकर एमिटी इंस्टीट्यूट आफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डा. राजेश कुमार सलूजा ने बताया कि पानी के नीचे एआइ की मदद से माइक्रो व नैनो प्लास्टिक कणों की पहचान करना सिर्फ तकनीक नहीं बल्कि प्रकृति व मानवीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आगे यह और बेहतर होता जाएगा।
आइआइटी दिल्ली व खड़गपुर ने सराहा
छात्रा अक्षिता गाबा ने बताया कि प्रोजेक्ट को आइआइटी दिल्ली की संस्था फाउंडेशन फार इनोवेशन एंड टेक्नोलाजी ट्रांसफर (एफआइटीटी) और सैमसंग द्वारा भविष्य की चुनौतियों के समाधान के लिए आयोजित प्रतियोगिता में देश के टाप-10 नवाचार में चुना गया था। आइआइटी खड़गपुर के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सिंपोजियम में भी टाप-10 में जगह मिली।
ऐसे हुई शुरुआत
मुंबई से आने वाली छात्रा रिया पी डे ने बताया कि उन्होंने मुंबई के मरीन ड्राइव में माइक्रो व नैनो प्लास्टिक के कारण समुद्री केंचुए गायब होने की खबर पढ़ी। उसके बाद उन्होंने इसको लेकर कुछ करने का निर्णय लिया। उसके बाद ही अंडर वाटर व्हीकल का विचार आया।
कई प्रतियोगिता में उनके आइडिया की सराहना की गई। उन्होंने साथियों के साथ प्रोफेसर के निर्देशन में इस पर काम किया।