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कोर्ट, सचिवालय और रेलवे में नौकरी का देते थे झांसा, ठग लेते थे 4 से पांच लाख रुपये

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लखनऊ। खुद को अधिकारी बताकर नौकरी के नाम पर बेरोजगारों को ठगने वाले सेना के कुक अजय कुमार तिवारी व उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया गया है। तीनों खुद को कभी सेना तो कभी न्यायालय, वन विभाग, सचिवालय, रेलवे और इनकम टैक्स विभाग का अधिकारी बताते थे। यह लोग बेरोजगारों को उक्त विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगते थे। गिरोह ने सैकड़ों लोगों से ठगी की है। प्रति व्यक्ति नौकरी के नाम पर चार से पांच लाख रुपये वसूलते थे।

एसटीएफ और मिलिट्री इंटेलीजेंस की संयुक्त टीम ने अजय को उसके दो साथियों संग अर्जुनगंज स्थित संस्तुति संस्कृति अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 504 से शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ के एएसपी अमित कुमार नागर ने बताया कि गिरफ्तार अजय कुमार तिवारी अमेठी के पांडेय पुरवा पीताम्बर पुरे का रहने रहने वाला है। उसके अन्य साथियों में सुलतानपुर जनपद के कादीपुर बिलवई मीरपुर का रहने वाला विजेंद्र प्रभाकर वह यहां तालकटोरा बीजी रेलवे कालोनी में रहता था।

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फर्जी दस्‍तावेज तैयार करता था व‍िजेंद्र   

इसके अलावा पीलीभीत अमरिया बांसखेड़ा निसैइया का चंद्र सेन है। विजेंद्र फर्जी दस्तावेज तैयार करने का काम करता था। वहीं, अजय 30 जनवरी 2005 को सेना में ट्रेड मैन कुक के पद पर भर्ती हुआ था। वह डीब्रूगढ़ में तैनात था। 13 साल नौकरी करने के बाद छुट्टी पर घर चला गया। कुछ साल बाद उसका स्थानांतरण लखनऊ हो गया था। फिर वह नौकरी पर ज्वाइन करने नहीं गया। यहां उसकी मुलाकात विजेंद्र से हुई। उसके साथ गिरोह बनाकर काम करने लगा।

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पूर्व में लखनऊ के बिजनौर और प्रयागराज से गिरफ्तार सैन्य कर्मी समेत अन्य जो ठगी का गिरोह चलाते थे। उनसे भी इनके संपर्क थे। पूछताछ और मोबाइल में मिले साक्ष्यों के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

ये सामान हुआ बरामद

सिंचाई विभाग, जल संस्थान, रेलवे, सचिवालय, इनकम टैक्स के फर्जी नियुक्ति पत्र। राजस्थान में पुलिस विभाग में सिपाही भर्ती के एडमिट कार्ड। ओएमआर सीट की छायाप्रति, स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश की सर्विस बुक, कई विभागों के फर्जी स्थानांतरण पत्र, कई विभागों की मुहर, पांच मोबाइल फोन, एक इनोवा कार, 2120 रुपये व अन्य दस्तावेज हैं।

पहले हुआ ठगी का शिकार, फिर गिरोह में शामिल होकर करने लगा ठगी

एएसपी के मुताबिक, चंद्र सेन ने पूछताछ में बताया कि फतेहपुर में रहने वाले अमित उर्फ अभिषेक से उसकी मुलाकात हुई थी। उसने विजेंद्र से मिलवाया था। अमित और विजेंद्र ने उसे आइटीआइ कॉलेज पीलीभीत में नौकरी दिलाने का झांसा दिया था। दो लाख रुपये भी चंद्र सेन ने दिए थे। चंद्र सेन की दो साल तक नौकरी नहीं लगी तो उसने विरोध किया। रुपयों की मांग की। अमित और विजेंद्र ने रुपये देने से मना कर दिया और उल्टा उसे जेल भेजने की धमकी दी। फिर अपने साथ काम करने का आफर दिया। चंद्र सेन भी गिरोह में शामिल हो गया और ठगी करने लगा।

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