नई दिल्ली। आपने कई बार ग्लूटन-फ्री खाने के बारे में सुना या पढ़ा होगा। इसके बारे में पढ़ने के दौरान आपने यह भी सोचा होगी कि क्यों न इसे अपना लिया जाए। फिटनेस फ्रीक्स का एक वर्ग है, जिन्हें ग्लूटेन से एलर्जी है, और वे ही ग्लूटेन मुक्त अभियान के पीछे हैं। ग्लूटेन कई लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का कारण बनता है, जो समग्र स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
इसमें कोई शक़ नहीं कि ग्लूटन कई लोगों में एलर्जी का कारण बनता है लेकिन साथ ही यह दूसरों को कई तरह के फायदे भी पहुंचाता है। यह प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला प्रोटीन, ज़्यादातर अनाज में होता है, जो फायदों का एक पावरहाउस है, जिसे दुर्भाग्य से कई लोगों का शरीर पचा नहीं पाता। तो इसलिए इस ट्रेंड को फॉलो करने से पहले ग्लूटन के बारे में सभी चीज़ों को जान लें और साथ ही यह भी जान लें कि ग्लूटन का सेवन न करने से क्या-क्या हो सकता है।
ग्लूटन-फ्री ट्रेंड क्या है?
बहुत से लोग ग्लूटन को ठीक से पचा नहीं पाते हैं और इसलिए बढ़ती जागरूकता के साथ लोग ग्लूटेन मुक्त होने लगे हैं। गेहूं हमारी डाइट का एक बड़ा हिस्सा है। आज के ज़माने में गेंहू के जो बीच बोये जा रहे हैं, वे हाइब्रिड हैं। इन बीजों में भारी मात्रा में ग्लूटेन और अन्य प्रोटीन होते हैं, जिन्हें शरीर पचा नहीं पाता।
कई स्वास्थ्य समस्याएं ग्लूटेन प्रोटीन से जुड़ी होती हैं। सीलिएक रोग, लस संवेदनशीलता, गेहूं की एलर्जी जैसे रोग ग्लूटन के प्रति असहिष्णुता के कारण होते हैं। ग्लूटन से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं में सीलिएक रोग सबसे आम है। इसमें, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली ग्लूटन को एक विदेशी कण के रूप में मानती है और उस पर हमला करती है। बाद में आंत प्रणाली की लाइनिंग पर हमला करती है। इससे एनीमिया और पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
क्या है ग्लूटन?
ग्लूटेन एक प्रोटीन है, जो गेहूं के पौधे और कुछ अन्य अनाजों में पाया जाता है। वैसे तो यह सभी अनाजों में होता है लेकिन गेहूं में आमतौर पर पाया जाता है। ग्लूटेन नाम शायद इसकी गोंद जैसी स्थिरता से आता है जब इसे पानी के साथ मिलाया जाता है। यही वजह है जब रोटी बनाने के लिए आटे को गूंदने के लिए जब उसमें पानी मिलाया जाता है, तो यह चिपचिपा हो जाता है। इसकी गोंद जैसा गुण इसे बेकरी के लिए बेस्ट बनाता है।
तो इसका फैसला कैसे करें कि आपको ग्लूटन की ज़रूरत है या नहीं?
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अपने लक्षणों को पहचानना बेहद ज़रूरी है। एक्ने, बालों का झड़ना और यहां तक कि अवसाद भी ग्लूटन असहनशीलता की वजह से हो सकता है। आप जो चीज़ रोज़ खाते हैं, वे आप पर असर करती है। अगर आप किसी चीज़ से एलर्जिक हैं, तो उसकी जगह कोई दूसरी चीज़ ले लें। ग्लूटन असहनशीलता का सबसे बड़ा लक्षण है ब्लोटिंग यानी पेट फूलना। अगर खाने में अनाज खाने के बाद आपका पेट फूलने लगता है, तो इस पर नज़र रखें। अगर ऐसा दोबारा होता है तो अपनी डाइट से ग्लूटन हटाएं।
ग्लूटन असहनशीलता के दूसरे लक्षण हैं- त्वचा पर चकत्ते होना, कब्ज़, वज़न घटना, दस्त, सिर दर्द, अवसाद और ज़्यादा थकावट महसूस होना। जब आपको यह जान जाएं कि ग्लूटन से आपको एलर्जी हो रही है, तो अनाज की जगह क्विनोआ, भूरा, काला या लाल चावल, कुटू का आटा, चौलाई, बाजरा, मक्का, ज्वार, टेफ, लस मुक्त ओट्स जैसी चीज़ों का सेवन करें।
सिर्फ फैशन के लिए ग्लूटन-फ्री डाइट न अपनाएं
अगर आपको ग्लूटन से परेशानी नहीं होती और फिर आप ग्लूटन को डाइट से हटा देते हैं, तो आप में कई तरह के पोषण की कमी हो जाएगी। ग्लूटेन युक्त साबुत अनाज में विटामिन-बी, मैग्नीशियम और आयरन सहित फाइबर और पोषक तत्व होते हैं। इसलिए अगर आपको ग्लूटन से एलर्जी नहीं है तो इसे खाना न छोड़ें।
ग्लूटन के क्या फायदे हैं?
क्योंकि चपाती और ब्रेड आमतौर पर हमारे नाश्ते का अहम हिस्सा होती है, इसलिए इससे जुड़े नुकसान फायदों के मुकाबले कम हैं। ग्लूटन आमतौर पर गेहूं में पाया जाता है, जिसका सेवन भारत में बड़े स्तर पर होता है। तो अगर आप ऐसी ही ग्लूटन को अपनी डाइट से निकाल बाहर कर देते हैं, तो आप एक आसान और पोषण से भरपूर फूड से दूर हो जाते हैं। और इससे आपको कोई फायदा भी नहीं होता
एक शोध में देखा गया कि जिन लोगों को ग्लूटन से दिक्कत न हो और वे फिर भी इससे दूर रहते हैं, तो उनमें दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। एक अन्य अध्ययन से पता चलता है कि ग्लूटन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से हृदय रोग, स्ट्रोक और टाइप-2 डायबिटीज़ का ख़तरा काफी कम हो जाता है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो ग्लूटन के सेवन से जुड़े सवाल अपने डॉक्टर से पहले करना न भूलें। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।