नई दिल्ली। हर साल दुनियाभर में 12 अक्टूबर को विश्व गठिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों में हड्डियों से जुड़ी इस गंभीर बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए किया जाता है। इस दिन पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें वर्ल्ड अर्थराइटिस डे की थीम के अनुसार कार्यक्रमों की रूप रेखा रखी जाती है।
आज इस मौके पर हम अर्थराइटिस से जुड़े कुछ आम मिथकों के बारे जानेंगे, जिनके बारे में सभी को पता होना चाहिए।
पहला मिथक: सिर्फ बुढ़ापे में ही होता है अर्थराइटिस
सच: अर्थराइटिस आमतौर पर बुज़ुर्गों में आम है, लेकिन यह किसी भी उम्र में लोगों को अपना शिकार बना सकती है। रुमेटीइड गठिया 20-40 वर्ष की आयु के लोगों में उपस्थित होता है।
दूसरा मिथक: अगर आपके जोड़ों में दर्द हो रहा है तो ये अर्थराइटिस है।
सच: यह सच नहीं है। जोड़ों में सभी तरह के दर्द का मतलब अर्थराइटिस नहीं है, साथ ही सभी जोड़ों की परेशानी इस बात का संकेत नहीं है कि आगे चलकर गठिया हो सकता है। जोड़ों में और उसके आसपास दर्द के कई संभावित कारण हैं, जिनमें टेंडिनाइटिस, बर्साइटिस और चोटें शामिल हैं।
तीसरा मिथक: जिन लोगों को अर्थराइटिस है उन्हें एक्सरसाइज़ नहीं करनी चाहिए।
सच: व्यायाम आमतौर पर एक ऐसी गतिविधि नहीं है जिससे गठिया से पीड़ित लोगों को बचना चाहिए, हालांकि उन्हें वर्कआउट शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। व्यायाम जोड़ों में गति और शक्ति की सीमा को बनाए रखने में मदद कर सकता है। गठिया होने पर भी एक्सरसाइज़ करनी चाहिए। जिन लोगों को अर्थराइटिस है और वे रोज़ाना एक्सरसाइज़ करते हैं, तो उन्हें दर्द कम होता है, ऊर्जा ज़्यादा होती है, बेहतर नींद आती है और दिन भर के काम बेहतर तरीके से होते हैं।
चौथा मिथक: जोड़ों के दर्द के लिए ठंडे से बेहतर है हॉट कम्प्रेस
सच: यह सच नहीं है। ठंडा और हॉट कम्प्रेस दोनों ही जोड़ों को आराम पहुंचाते हैं। हॉट कम्प्रेस का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो इससे जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द और अकड़न को कम कर सकता है। कोल्ड कम्प्रेस से जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करने में मदद कर सकता है। लोगों को एक्सरसाइज़ करने से पहले हॉट कम्प्रेस का इस्तेमाल करना चाहिए, जब जोड़ों में अकड़न होती है और जब उन्हें दर्द हो रहा होत है। ठंडे कम्प्रेस से भी दर्द में आराम मिल सकता है, इससे तब भी आराम मिल सकता है जब जोड़ों में सूजन हो, खासतौर पर अगर ज़्यादा काम कर लेने के बाद सूजन आई हो।
5वां मिथक: गठिया को रोका नहीं जा सकता
सच: गठिया के हर मामले को रोकना संभव नहीं है, क्योंकि कुछ जोखिम कारक, जैसे कि बढ़ती उम्र, में बदलाव नहीं किया जा सकता है। हालांकि, लोग गठिया की शुरुआत को रोकने या इसकी प्रगति को धीमा करने के लिए कुछ जोखिम कारकों को समाप्त या कम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अधिक वज़न वाले लोगों में घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है। अपनी लंबाई के हिसाब से वज़न बनाए रखने से गठिया का ख़तरा कम हो सकता है। स्मोरिंग और तम्बाकू भी रूमेटोइड गठिया के विकास के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। इसलिए स्मोकिंग छोड़ देने से आपकी सेहत को फायदा ही मिलेगा।
छठा मिथक: एक बार गठिया हो जाए, तो आप कुछ नहीं कर पाएंगे
सच: हालांकि, अक्सर इस बीमारी का कोई इलाज नहीं होता है, लेकिन आर्थराइटिस के प्रकार के आधार पर इसका कोर्स अलग-अलग होता है। कई प्रकार के गठिया के लिए दवाएं उपलब्ध हैं, जो इस बीमारी के लक्षणों को कम करती हैं और इसकी प्रगति को धीमा करने में भी मदद कर सकती हैं। इसके अलावा लोग अपनी लाइफस्टाइल में भी कुछ बदलाव कर कुछ तरह के आर्थराइटिस की प्रगति को धीमा कर सकते हैं, जैसे सही वज़न बनाए रखना, स्मोकिंग छोड़ देना, हेल्दी डाइट लेना और अच्छी नींद लेना
7वां मिथक: मौसम में बदलाव गठिया को बदतर बना सकता है
सच: लगातार यह दावा किया जाता रहा है कि बारिश और नम मौसम गठिया के लक्षणों को बदतर बना देते हैं। हालांकि, यह सच नहीं है, मौसम गठिया से पीड़ित सभी को प्रभावित नहीं करता है।
चिकित्सा क्षेत्र में प्रगति के बावजूद, हमें अभी भी गठिया के बारे में बहुत कुछ सीखना और जानना है। हालांकि, हम यह ज़रूर जानते हैं कि व्यायाम और पौष्टिक, संतुलित आहार वाली जीवन शैली को बनाए रखने से हम कुछ प्रकार के गठिया के जोखिम को कम कर सकते हैं और उनकी प्रगति को धीमा कर सकते हैं।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।