नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार इलाज की बेहतर सुविधाएं और अस्पतालों के बुनियादी ढांचे के विकास पर काफी जोर दे रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ को पत्र लिखकर वहां कोविड-19 की जांच, अस्पतालों के बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा कार्यबल और टीकाकरण के संबंध में आई रिपोर्ट पर सुधारात्मक उपाय करने को कहा है। इन राज्यों में केंद्र से भेजी गई स्वास्थ्य टीमों ने कोरोना जांच, अस्पतालों के बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सेवा कार्यबल और टीकाकरण के संबंध में रिपोर्ट भेजी है।
गौर करने वाली बात है कि ये तीनों ही राज्य गैर भाजपा शासित है। हाल ही में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने राज्य में कोरोना रोधी वैक्सीन का सीमित स्टाक होने का हवाला दिया था। बीते बुधवार को उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के ज्यादातर टीकाकरण केंद्रों पर वैक्सीन की पर्याप्त खुराकें नहीं हैं। टोपे ने यह भी कहा था कि अस्पतालों में बेड एवं आक्सीजन की भी बेहद कमी महसूस की जा रही है। इस पर केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टाक की पर्याप्त मात्रा होने की बात कही थी।
यही नहीं महाराष्ट्र के कई मंत्रियों और नेताओं ने भी राज्य में वैक्सीन की कमी की बात कही है और केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया था। वैक्सीन के स्टॉक कम होने की शिकायतों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने इसके लिए कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि पहले अपने नागरिकों को वैक्सीन दी जाए और उसके बाद ही दूसरे देशों को इसकी आपूर्ति की जाए। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में सोनिया गांधी ने कहा था कि सबसे पहले भारत में टीकाकरणपर ध्यान देना होगा।
वहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शनिवार को कहा था कि महाराष्ट्र को अब तक कोरोना वैक्सीन की कुल 1.10 करोड़ डोज दी गई है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और गुजरात को भी वैक्सीन की एक करोड़ से ज्यादा डोज दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिया था कि कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र को अगले तीन दिन के भीतर 1,100 और वेंटीलेटर मुहैया करा दिए जाएंगे। हालांकि वैक्सीन की कमी को लेकर हो रही राजनीति पर जावडेकर ने टिप्पणी करने से इन्कार करते हुए कहा था कि यह राजनीति का समय नहीं है।