बलरामपुर। ‘यूं ही कट जाएगा सफर साथ चलने से, कि मंजिल आएगी नजर साथ चलने से।’ गुजरे जमाने का यह फिल्मी गीत कौवापुर बाजार निवासी रमजान अली के परिवार पर बिल्कुल सटीक बैठता है। कपड़ा सिलकर परिवार का गुजारा करने वाले रमजान ने कड़ी मेहनत से न केवल अपने बच्चों को काबिल बनाया, बल्कि लोगों के लिए नजीर भी बने। छोटे बेटे शुभान अली को संघ लोक सेवा आयोग की अाइईएस परीक्षा की तैयारी कराई। बेटे ने इस परीक्षा में 24वीं रैंक हासिल कर पिता के सपनों काे साकार कर दिया है। वह वर्तमान में लद्दाख में रक्षा मंत्रालय में इंजीनियर पद पर नियुक्त है। बड़ा बेटा शाबान दिल्ली सर्वाेच्च न्यायालय में अधिवक्ता है, तो बेटी शमा प्रधानाचार्य बन शिक्षा की ज्योति जला रही है। निम्न वर्गीय इस परिवार ने मुश्किल दिनों में हंसते-खेलते एक-दूसरे का हौंसला बढ़ाया। नतीजा, आज इस परिवार को मुकम्मल जहां मिल गया है।
बच्चों के जरिए पूरा किया ख्वाब : बकौल रमजान परिवार के भरण-पोषण के लिए कौवापुर बाजार में छोटी सी सिलाई की दुकान चलाता था। यहां होने वाली मामूली कमाई से घर का गुजारा मुश्किल से होता था। वह अधिक पढ़ा-लिखा नहीं था। इसलिए उसने बच्चों को खूब पढ़ाने का निश्चय किया। अच्छी कमाई न होता देख उसने दिल्ली का रुख किया। दिल्ली में सिलाई को ही तरजीह देते हुए काम शुरू किया। उसने बड़े बेटे शाबान को भी अपने पास बुला लिया। उसका दाखिला एक स्कूल में कराया। वह घर पर पैसे भेजकर बच्चों को पढ़ाने पर ही जोर देता था। छोटे बेटे शुभान का दाखिला जवाहर नवोदय विद्यालय में हो गया। उसने लगन से पढ़ाई कर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट में टॉप किया। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चला गया। बेटी शमा भी जी-जान से पढ़ाई में जुटी रही। बड़े बेटे ने कानून की पढ़ाई के बाद आइएएस की कोचिंग शुरू की। साथ ही वकालत जारी रखी।
बच्चों की सफलता पर भर आईं आंखें :रमजान बताते हैं कि आज बच्चों की सफलता पर हर ओर से बधाई व सम्मान मिल रहा है। आमजन के साथ जनप्रतिनिधि भी परिवार को सम्मान दे रहे हैं। वह कहता है कि मुझे अपने बच्चों पर गर्व है। जिन्होंने पिछड़े इलाके में सफलता हासिल कर मिसाल पेश की है।