नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक युवक को पांच साल कारावास की सजा सुनाई है। निचली अदालत के आदेश को सही करार देते हुए हाई कोर्ट ने दोषी की याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति एसपी गर्ग ने अपने आदेश में कहा कि कम उम्र में दुष्कर्म की यातनाएं झेलने के बाद एक बच्ची पर ताउम्र इसका असर रहता है। घटना की छाप को मिटा पाना एक बच्चे के लिए आसान नहीं है। अदालत ने कहा कि एक निजी स्कूल के स्टॉफ के द्वारा दुष्कर्म की वारदात को अंजाम देना भयभीत करने वाली घटना है।
पेश मामले में ट्रायल कोर्ट ने इससे पहले वर्ष 2015 मे 27 वर्षीय युवक को 13 साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म करने का दोषी पाते हुए उसे पांच साल कारावास की सजा सुनाई थी। जुलाई 2014 में स्कूल परिसर के अंदर ही बच्ची को दुष्कर्म का शिकार बनाया गया था। बच्ची के माता-पिता की शिकायत पर दोषी को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत ने दोषी के उस तर्क पर भी कड़ी आपत्ति जताई जिसमें कहा गया था कि बच्ची जानबूझ कर उसे झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास कर रही है। अदालत ने कहा कि यह बात विश्वास योग्य नहीं है कि एक कम उम्र बच्ची किसी को जानबूझ कर झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास करेगी।