प्रयागराज: उमेश पाल अपहरण मामले में बाहुबली अतीक अहमद को तो 17 साल बाद उम्रकैद की सजा मिल गई, पर उसके भाई अशरफ को कोर्ट ने बरी कर दिया। प्रयागराज कोर्ट के इस फैसले पर सपा विधायक पूजा पाल ने बेहद नाराजगी जताई हैं। वर्ष 2005 में पूजा के पति तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की अतीक गैंग ने गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। पूजा पाल ने अशरफ को अतीक अहमद से ज्यादा खूंखार करार दिया। उन्होंने कहा कि अशरफ का बरी होना बहुत चौंकाने वाला है क्योंकि वह एक कट्टर अपराधी है। दोनों भाई एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
पत्रकारों से बातचीत में कौशांबी की चायल सीट से विधायक पूजा पाल ने कहा- मैं कोर्ट के फैसले का स्वागत करती हूं। मगर यह मेरी सोच है कि जिन लोगों को दोषमुक्त किया गया है, उन्हें नहीं करना चाहिए था। इससे अतीक के लोगों का मनोबल बढ़ेगा। उसके शूटर अब भी बाहर हैं। राजू पाल हत्याकांड में दोषियों को फांसी होकर रहेगी, लेकिन उन्हें अतीक से खतरा है। उन्होंने अतीक और उसके भाई अशरफ को बहुत अधिक प्रभावशाली बताते हुए कहा कि उनका शासन तक में दखल है और वे अपनी मर्जी से कोर्ट में तारीखें लगवाते हैं।
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गवाही से रोकने के लिए हुआ था उमेश का अपहरण
आपको बता दें कि उमेश पाल अपहरण केस में कोर्ट ने अशरफ समेत सात आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया है। जबकि अतीक अहमद, उसके वकील खान शौलत हनीफ और शूटर दिनेश पासी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। 25 जनवरी 2005 को बीएसपी विधायक राजूपाल हत्याकांड में उमेश पाल चश्मदीद गवाह थे। इस मामले में गवाही से रोकने के लिए ही 28 फरवरी 2006 को धूमनगंज इलाके के फांसी इमली के पास से उमेश पाल का अपहरण कर लिया गया था। उमेश पाल पर झूठी गवाही देने के लिए दबाव बनाया गया और उन्हें टॉर्चर किया गया।
डेढ़ साल बाद दर्ज हुआ था मुकदमा
घटना के करीब 16 महीने बाद 5 जुलाई 2007 को इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई। इस मामले में अतीक और अशरफ समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें एक आरोपी अंसार पहलवान की मौत हो चुकी है। 24 फरवरी को इसी मामले की सुनवाई से घर लौटते समय उमेश पाल की हत्या कर दी गई थी। हालांकि उमेश की हत्या से पहले ही इस मुकदमे की गवाही पूरी हो चुकी थी।