ग्रेटर नोएडा : रोजगार और आधुनिक सुविधाओं के लिए शहर की ओर दौड़ने वाले लोग सुकून के लिए एक बार फिर गांवों का रुख कर रहे हैं। इससे गांवों की संस्कृति, रहन-सहन और खान पान को पर्यटन की पहचान मिल रही है। यमुना प्राधिकरण अपने क्षेत्र में पर्यटन की इन नई संभावनाओं को मूर्तरूप देने जा रहा है। प्राधिकरण ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के 30 किमी के दायरे में ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने का फैसला किया है। इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी इंडियन ट्रस्ट आफ रूरल हैरिटेज एंड डेवलपमेंट को सौंपी गई है। आगामी बोर्ड बैठक में प्राधिकरण इसका प्रस्ताव भी शामिल करेगा।
ग्रामीण पर्यटन के लिए नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तीस किमी के दायरे में आने वाले स्मारकों को जीर्णाेद्धार और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित किया जाएगा। खास प्रजाति एवं वर्षों पुराने पेड़ों के साथ ही वेटलैंड, जीव जंतु को भी संरक्षित किया जाएगा।
ग्रामीण संस्कृति को जीवंत रखने के लिए उसे बढ़ावा दिया जाएगा। पर्यटन गांव के परिवेश में आकर सुकून के पल गुजार सकेंगे। ग्रामीण संस्कृति, पहनावे, लोक गीत, कला और खान पान का लुत्फ ले सकेंगे। लोक संगीत, नृत्य, कला के लिए ओपन थियेटर, लाइट एंड साउंड शो और ग्रामीण उत्पाद के लिए हाट विकसित होंगी। एक्सप्रेस वे के दोनों ओर दस-दस किमी तक ग्रामीण पर्यटन
ग्रेटर नोएडा से आगरा तक अलग-अलग चरण में ग्रामीण पर्यटन को विकसित किया जाएगा। यमुना एक्सप्रेस वे के दोनों ओर दस-दस किमी के दायरे में इसे विकसित किया जाएगा। हालांकि पहले चरण में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के तीस किमी के दायरे में इसे विकसित किया जाएगा।
राजस्थान की तर्ज पर होंगी सुविधाएं
राजस्थान में ग्रामीण पर्यटन तेजी से विकसित हुआ है। इसी की तर्ज पर यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। नोएडा एयरपोर्ट पर आने वाले देशी विदेशी पर्यटक यहां आकर ग्रामीण संस्कृति को देख व उसका लुत्फ ले सकेंगे। ग्रामीणों के लिए रोजगार का नया विकल्प तैयार होगा। दनकौर बिलासपुर को होगा फायदा
महाभारत काल का इतिहास समेटे दनकौर, बिलासपुर को ग्रामीण पर्यटन से खास फायदा होगा। प्राचीन ढांचे का संरक्षण होने के साथ पर्यटन बढ़ेगा। ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना है। आइटीआरएचडी ने हाल में इसका प्रस्तुतीकरण दिया है। प्रदेश सरकार ने भी इसके साथ एमओयू किया है। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी। तीस साल के लिए देखरेख व रखरखाव की योजना तैयार होगी।
डा. अरुणवीर सिंह, सीईओ यमुना प्राधिकरण