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वाईफाई ने खोला वृद्धा कमलेश की हत्या का राज…आंखों के सामने आरोपी ने पुलिस को ऐसे दिया चकमा

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देहरादून: पटेलनगर के भंडारीबाग में तीन मार्च को हुई एकाकी वृद्धा की हत्या का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने अल्मोड़ा के युवक को गिरफ्तार किया है। एसएसपी दलीप सिंह कुंवर के अनुसार, वृद्धा अपने घर का एक कमरा किराये पर देना चाहती थी और आरोपित युवक इसी बहाने घर में घुसा था।

कोरोनाकाल में होटल मैनेजर की नौकरी छूट जाने के बाद आरोपित किसी बड़ी लूटपाट को अंजाम देकर रकम कमाना चाह रहा था। हालांकि, वृद्धा की हत्या के बाद आरोपित को घर से चार-पांच हजार रुपये ही मिले, जिसे लेकर वह फरार हो गया।

हत्या में प्रयुक्त चाकू, लूटे गए रुपये और कुछ दस्तावेज बरामद

पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त चाकू व लूटे गए 1670 रुपये और कुछ दस्तावेज बरामद किए हैं। गिरफ्तार आरोपित महेंद्र सिंह मेहता अल्मोड़ा जिले के ग्राम पिटूनी पोस्ट का मूल निवासी है और वर्तमान में देहरादून के देहराखास स्थित टीएचडीसी कालोनी में रह रहा था।

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शनिवार को अपने कार्यालय में एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने घटना का राजफाश किया। उन्होंने बताया कि चार मार्च की सुबह न्यू वसंत विहार एन्क्लेव निवासी विनीता ध्यानी ने पुलिस को सूचना दी कि भंडारीबाग में शिवराम उनियाल स्कूल के सामने स्थित घर में अकेली रहने वाली उनकी 75 वर्षीय मां कमलेश धवन की किसी ने हत्या कर दी है।

विनीता रोजाना सुबह व रात को मां को फोन काल कर कुशलक्षेम पूछती थीं, लेकिन जब तीन मार्च की रात और चार मार्च की सुबह मां ने फोन नहीं उठाया तो उन्होंने मां के पड़ोस में रहने वाले एक टेलर को फोन कर घर भेजा।

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टेलर जब घर पहुंचा तो देखा कि कमलेश धवन का खून से लथपथ शव फ्रिज के बगल में जमीन पर पड़ा हुआ था। घटना की प्रारंभिक जांच में ही पुलिस इसे लूटपाट के इरादे से की गई हत्या मानकर जांच कर रही थी।

200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली

एसएसपी ने बताया कि घटना में एसपी क्राइम सर्वेश पंवार, एसपी सिटी सरिता डोबाल, पटेलनगर इंस्पेक्टर सूर्यभूषण नेगी, नेहरू कालोनी थानाध्यक्ष लोकेंद्र बहुगुणा और एसओजी इंचार्ज मुकेश त्यागी के नेतृत्व में नौ जांच टीमें गठित की गईं। टीमों ने आसपास लगे करीब 200 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली और करीब 150 व्यक्तियों से पूछताछ की।

कैमरे की फुटेज में दो मार्च की शाम एक युवक मृतका कमलेश धवन के घर जाता हुआ दिखाई दिया। यह युवक 12 मिनट के बाद वापस आ गया। यही युवक तीन मार्च की दोपहर दोबारा कमलेश धवन के घर में गया और करीब पौन घंटे बाद जल्दबाजी में बाहर आता हुआ दिखाई दिया।

हालांकि, फुटेज में आरोपित का चेहरा स्पष्ट नहीं दिखाई दे रहा था। पुलिस ने उसके कपड़ों व चाल-ढाल के आधार पर घर के पास लगे अन्य कैमरों की जांच की तो एक कैमरे में युवक का चेहरा कैद मिला। पुलिस ने इस युवक महेंद्र सिंह मेहता को शुक्रवार देर शाम दबोच लिया। पूछताछ में उसने लूट के इरादे से तीन मार्च की दोपहर हत्या की बात स्वीकार कर ली।

जुए व नशे की लत ने बनाया हत्यारा

पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपित महेंद्र सिंह मेहता पिछले 12 वर्षों से देहरादून में रह रहा है। पहले वह चुक्खू मोहल्ले में किराये के कमरे में रहता था व आइएसबीटी के पास स्थित होटल हैरिटेज में मैनेजर के पद पर कार्यरत था।

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कोरोनाकाल में उसकी नौकरी छूट गई, जिसके बाद वह अवसाद में रहने लगा और उसे नशे व जुए की लत लग गई। इस कारण उसकी पत्नी उसे छोड़कर बच्चों के साथ मुंबई स्थित मायके चली गई। दिसंबर-2021 से महेंद्र अपनी मुंहबोली बहन प्रीति के मकान में देहराखास में रह रहा था।

दो मार्च को वह भंडारीबाग के पास पैदल घूम रहा था तो उसने घर के बाहर कमलेश धवन को अकेली बैठा देखा। वह किराये पर कमरा लेने के बहाने घर में घुसा और कमलेश धवन से बातचीत की। तभी उसे कमलेश के घर में अकेली रहने का पता चला। इसलिए उसने कमलेश की हत्या कर गहने व नकदी लूटने की साजिश रची।

तीन मार्च को दिया हत्या को अंजाम

दो मार्च को सामान्य बातचीत के बाद आरोपित महेंद्र लौट गया, लेकिन अगले दिन वह लूट के इरादे से चाकू लेकर दोबारा कमलेश धवन के घर पहुंचा। उसने पहले पीने के लिए पानी मांगा और जैसे ही कमलेश धवन पानी लेने के लिए अंदर गई, तभी महेंद्र ने पलंग पर रखे कमलेश के पर्स को टटोलना शुरू कर दिया।

कमलेश ने उसे देखकर शोर मचाया तो महेंद्र ने चाकू के बल पर उन्हें धमकाया। जब कमलेश विरोध करने लगी तो महेंद्र ने चाकू से गला काटकर उनकी हत्या कर दी। खींचतान के दौरान फ्रिज व टेबल पर रखा सामान नीचे बिखर गया और फ्रिज के ऊपर रखे वाइफाइ का कनेक्शन भी टूट गया।

हत्या के बाद उसने घर में गहने व नकदी तलाशी, लेकिन उसे एक काले पर्स में सैन्य कैंटीन का कार्ड, गाड़ी के कागज जबकि दूसरे पर्स में चार-पांच हजार रुपये मिले। कुछ देर तलाशी के बाद भी जब जेवरात नहीं मिले तो वह फरार हो गया।

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डीजीपी ने एसटीएफ को भी सौंपी थी जिम्मेदारी

एकाकी वृद्धा की हत्या के बाद पुलिस की सुरक्षा-व्यवस्था पर उठे सवालों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने एक सप्ताह में घटना का राजफाश करने की चेतावनी एसएसपी को दी थी। साथ ही एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल को भी जांच में लगाया था। फुटेज मिलने के बाद भी पुलिस को जब आरोपित नहीं मिला तो एसटीएफ की मदद ली गई और आठ दिन के भीतर मामले का राजफाश कर दिया गया।

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